नई दिल्ली/पोर्ट लुइस:
अमेरिकी शॉर्ट शेलर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट फिर से चर्चा में है. हिंडनबर्ग ने अपनी हालिया रिपोर्ट में इंडियन मार्केट,मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) को लेकर बड़े दावे किए हैं. अपनी रिपोर्ट में हिंडनबर्ग ने मॉरीशस का भी जिक्र किया है. अब मॉरीशस ने इन आरोपों का जवाब दिया है. मॉरीशस के वित्तीय सेवा आयोग (FSC) ने मंगलवार को कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च के SEBI प्रमुख माधबी पुरी बुच के खिलाफ हितों के टकराव के आरोपों में जिस फंड का जिक्र किया गया है,उसका उनके देश से कोई लेना-देना नहीं है. मॉरीशस से यह भी कहा कि वह शेल कंपनियों को देश में काम करने की कतई इजाजत नहीं देता.
मॉरीशस के वित्तीय सेवा आयोग ने कहा कि उसने 10 अगस्त 2024 को अमेरिकी रिसर्च और इंवेस्टमेंट कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट को संज्ञान में लिया है. इसमें मॉरीशस-आधारित शेल कंपनियों और टैक्स चोरी करने वालों के लिए मॉरीशस के 'टैक्स हेवेन' के रूप में उल्लेख किया गया है. ये सरासर गलत है.
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FSC ने कहा,"हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया है कि आईपीई प्लस फंड मॉरीशस का एक स्मॉल ऑफशोर मॉरीशस फंड है. आईपीई प्लस फंड-1 मॉरीशस में रजिस्टर्ड है. हम यह साफ करना चाहते हैं कि आईपीई प्लस फंड और आईपीई प्लस फंड-1 मॉरीशस से जुड़ा नहीं है. इसे कोई लाइसेंस नहीं दिया गया है. सही मायने में इसका मॉरीशस से कोई लेना-देना नहीं है."दरअसल,हिंडनबर्ग ने शनिवार को आरोप लगाया कि SEBI चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति ने बरमूडा स्थित फंड की मॉरीशस-रजिस्टर्ड यूनिट में एक अज्ञात रकम का निवेश करने के लिए 2015 में सिंगापुर में एक फंड मैनेजमेंट कंपनी के साथ एक अकाउंट खोला.
गैर-बैंकिंग वित्तीय सेवा क्षेत्र और वैश्विक व्यापार के लिए इंटिग्रेटेड रेगुलेटर FSC ने इस फंड के मॉरीशस में रजिस्टर्ड होने की बात को नकार दिया है. FSC ने कहा कि मॉरीशस में विधायी ढांचा मुखौटा कंपनियों की अनुमति नहीं देता है. FSC ने कहा,"मॉरीशस के पास वैश्विक व्यापार कंपनियों के लिए एक मजबूत ढांचा है. FSC ने द्वारा लाइसेंस प्राप्त सभी वैश्विक व्यापार कंपनियों को वित्तीय सेवा अधिनियम की धारा 71 के मुताबिक निरंतर आधार पर महत्वपूर्ण जरूरतों को पूरा करना होता है,जिसकी नियामक द्वारा सख्ती से निगरानी की जाती है."
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FSC ने कहा कि मॉरीशस सख्ती से अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम व्यवहार का अनुपालन करता है. इसे आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) के मानकों के अनुरूप माना गया है.