प्रतीकात्मक तस्वीर
रायबरेली:
रायबरेली में एक युवक ने दावा किया है कि सड़क किनारे मिले एक बैग को जब वो पुलिस को देने गया तो पुलिस ने उल्टा उसे ही लूट का आरोपी बनाकर जेल भेज दिया. लूट के मामले में आरोपी बनाए गए युवक को रायबरेली की कोर्ट ने ज़मानत पर रिहा करने का आदेश दे दिया है. शनिवार की शाम युवक जेल से रिहा होकर बाहर आया तो उसने पुलिस पर कई सवाल खड़े कर दिए. दावा है कि युवक को पुलिस ने फर्जी तरीके से जेल भेज दिया था. आरोप है कि पुलिस की जबरदस्ती की वजह से युवक को 13 दिन तक जेल में रहना पड़ा.
दरअसल,रायबरेली के गदागंज बाज़ार में जन सुविधा केंद्र चलाने वाले रविशंकर के साथ 20 अगस्त को सात लाख की लूट हुई थी. हड़बड़ाहट में लूट से भरा बैग बदमाश सड़क पर ही फेक कर चले गए थे और वो बैग दीपू उर्फ गौरव को मिला. दीपू ने उस बैग को थाने में जमा करवा दिया. बाद में पुलिस ने लूट के मामले में 26 अगस्त को जमुनीपुर चरुहार निवासी दीपू उर्फ गौरव को आरोपी बनाते हुए कोर्ट में पेश किया था. कोर्ट ने दीपू को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था. दीपू को जेल भेजने पर उसके घरवालों में बेहद नाराजगी थी और इस वजह से दीपू के परिजनों और व्यापारी वर्ग ने विरोध प्रदर्शन भी किया था. इसके बाद 29 अगस्त को घरवालों ने थाने का घेराव किया था और थाना प्रभारी राकेश चंद्र आनंद और अन्य दरोगा पर कार्रवाई की मांग की थी. इस पर पुलिस ने पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की बात कही थी.
मामले की जांच कर रहे प्रभारी निरीक्षक ने शनिवार को कोर्ट में आरोपी के खिलाफ पर्याप्त सबूत न होने की बात कही. इस पर अपर सिविल जज सीनियर डिवीजन/एसीजेएम द्वितीय नीरज सिंह ने सुनवाई के बाद दीपू को व्यक्तिगत बॉन्ड पर रिहा करने का आदेश दिया. जेलर हिमांशू रौतेला ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर दीपू को रिहा कर दिया गया है.
इस घटना को लेकर कांग्रेस की नेता ने यूपी सरकार को निशाने पर लिया है. प्रियंका गांधी ने रायबरेली की इस घटना पर सवाल उठाते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर यूपी की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा किया है. उन्होंने लिखा कि यूपी में कानून व्यवस्था खिलवाड़ बन चुकी हैं.
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