जवाहर सरकार ने आरजी कर अस्पताल घटना को लेकर राज्यसभा से इस्तीफा देने की घोषणा की.
नई दिल्ली:
मैंने पिछले महीने आरजी कर अस्पताल की घृणित घटना के खिलाफ हर किसी की प्रतिक्रिया को धैर्यपूर्वक देखा है,मैंने अपने जीवन में सरकार के खिलाफ इतना गुस्सा और अविश्वास कभी नहीं देखा...तृणमूल कांग्रेसराज्यसभा सांसद जवाहर सरकार ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखआरजी कर अस्पताल घटना को लेकर अपना दर्द बयां किया और अपने इस्तीफे फैसले की जानकारी दी. उन्होंने अपने पत्र में लिखा किआरजी कर अस्पताल में हुई भयावह घटना के बाद एक महीने तक मैंने धैर्यपूर्वक पीड़ा सही और उम्मीद कर रहा था कि आप (ममता बनर्जी) अपनी पुरानी शैली में आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टरों के साथ सीधे बात करेंगी.
"राजनीति भी छोड़ रहा हूं"
द एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू मेंजवाहर सरकार ने इस्तीफे के फैसले पर कहा कि यह मेरा निजी फैसला है,मैंने तीन साल तक सांसद के तौर पर काम किया है,मुझे लगता है कि मेरे लिए यह काफी है. वे (पार्टी) अपनी पसंद के किसी व्यक्ति को सीट दे सकती है. आरजी कर अस्पताल घटना पर उन्होंने राज्य सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि इसे और बेहतर तरीके से संभाला जा सकता था. मैं न केवल सांसद के तौर पर इस्तीफा दे रहा हूं,बल्कि राजनीति भी छोड़ रहा हूं. एक सामान्य जीवन जीना है. उन्होंने कहा,सत्ता और भ्रष्टाचार की एक धारणा है,मैंने उन्हें (ममता बनर्जी ) इसके खिलाफ कदम उठाने की सलाह दी थी. इसपर मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया क्या थी? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि ये ऐसी बातें हैं,जिसे निजी ही करना चाहिए.क्या आप किसी अन्य पार्टी में शामिल होने की योजना बना रहे हैं? क्या कोई विकल्प नहीं है? इसपर सवाल के जवाब पर उन्होंने ने कहा कि कभी नहीं,मैं राजनीति नहीं करना चाहता. मेरे दिमाग में ऐसा कुछ नहीं है.
ममता ने फैसले पर विचार करने को कहा
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसारममता बनर्जी ने फोन कॉल में जवाहर सरकार से कहा है कि वो अपने इस्तीफे पर विचार करें. सूत्रों के अनुसार जवाहर सरकार 11 सितंबर कोराज्यसभा सचिवालय को अपना इस्तीफा सौंपने वाले हैं.
सरकार ने कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की एक महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या,तथा राज्य सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार के विरोध में संसद के ऊपरी सदन से इस्तीफा देने की घोषणा की है.
तणमूल ने बताया निजी फैसला
तणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष ने प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए इसे उनका "निजी मामला" बताया है. घोष ने कहा,"उन्होंने जो पत्र लिखा है,वह उनका निजी फैसला है. हम उनके पत्र और उनके द्वारा उठाए गए कुछ सवालों से सहमत हैं,लेकिन इस्तीफा देना उनका निजी फैसला है." साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार पार्टी में रहकर पार्टी को आवश्यक सुधार पर सलाह दे सकते थे. उन्होंने कहा,"मुझे यकीन है कि मुख्यमंत्री और हमारी पार्टी के महासचिव अभिषेक बनर्जी समाज के पक्ष में रुख अपनाएंगे."पत्र में क्या लिखा था
जवाहर सरकार ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर राजनीति से दूर होने की बात कही है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भेजा अपने इस्तीफा में उन्होंने लिखा किराज्य की विभिन्न समस्याओं को केंद्र सरकार के ध्यान में लाने का अवसर देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद. लेकिन काफी सोच-विचार के बाद मैंने सांसद पद से इस्तीफा देने और खुद को राजनीति से पूरी तरह अलग करने का फैसला किया है.चिकित्सक की मौत पर विरोध प्रदर्शन को स्वतःस्फूर्त बताते हुए सेवानिवृत्त आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) अधिकारी ने कहा कि उन्होंने किसी सरकार के खिलाफ ‘‘ऐसा गुस्सा और घोर अविश्वास'' कभी नहीं देखा. उन्होंने पत्र में लिखा,‘‘दलगत राजनीति में सीधे शामिल हुए बिना सांसद बनने का मुख्य उद्देश्य यह था कि इससे भाजपा और उसके प्रधानमंत्री की निरंकुश व सांप्रदायिक राजनीति के खिलाफ संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए एक उत्कृष्ट मंच मिलेगा. इसे लेकर मुझे कुछ हद तक संतुष्टि है और संसद में चर्चा के दौरान मैंने कई बार हस्तक्षेप किए...''
जवाहर सरकार ने कहा कि तृणमूल में शामिल होने के एक साल बाद 2022 में,वह पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के खिलाफ भ्रष्टाचार के ‘‘खुले सबूत'' देखकर ‘‘काफी हैरान'' रह गए. उन्होंने कहा,‘‘मैंने सार्वजनिक रूप से कहा था कि पार्टी और (राज्य) सरकार को भ्रष्टाचार से निपटना चाहिए,लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने मुझे ही घेर लिया. मैंने तब इस्तीफा नहीं दिया क्योंकि मुझे उम्मीद थी कि आप (ममता बनर्जी) ‘कट मनी' और भ्रष्टाचार के खिलाफ अपना सार्वजनिक अभियान जारी रखेंगी,जिसे आपने एक साल पहले शुरू किया था.''
मेरा मोहभंग होता गया
पूर्व नौकरशाह ने कहा कि उन्हें उनके शुभचिंतकों ने सांसद बने रहने के लिए मनाया,ताकि वह ‘‘ऐसे शासन के खिलाफ लड़ाई जारी रख सकें जो भारतीय लोकतंत्र और नागरिक स्वतंत्रता के लिए अब तक का सबसे बड़ा खतरा है.'' उन्होंने कहा,‘‘हालांकि मैंने संसद में अपना काम पूरे उत्साह के साथ किया,लेकिन धीरे-धीरे मेरा मोहभंग होता गया क्योंकि राज्य सरकार भ्रष्टाचार और नेताओं के एक वर्ग के बढ़ते बल प्रयोग के प्रति बिल्कुल भी चिंतित नहीं दिखी.''अपनी मध्यमवर्गीय जीवनशैली का जिक्र करते हुए सरकार ने कहा कि उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि पंचायत और नगरपालिकाओं में चुने गए तृणमूल के कई लोगों (प्रतिनिधियों) ने काफी संपत्ति अर्जित कर ली है और वे महंगी गाड़ियों में घूमते हैं. उन्होंने कहा,‘‘इससे न केवल मुझे,बल्कि पश्चिम बंगाल के लोगों को भी दुख होता है.''
बनर्जी से बात करने का मौका नहीं मिला
सरकार ने पत्र में कहा,‘‘आरजी कर अस्पताल में हुई भयावह घटना के बाद एक महीने तक मैंने धैर्यपूर्वक पीड़ा सही और उम्मीद कर रहा था कि आप (ममता बनर्जी) अपनी पुरानी शैली में आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टरों के साथ सीधे बात करेंगी. ऐसा नहीं हुआ और राज्य सरकार अब जो भी दंडात्मक कदम उठा रही है,वह बहुत अपर्याप्त हैं और काफी देर से उठाए जा रहे हैं. सरकार ने दावा किया कि उन्होंने यह पत्र इसलिए लिखा कि उन्हें महीनों तक मुख्यमंत्री बनर्जी से व्यक्तिगत रूप से बात करने का मौका नहीं मिला''.ये भी पढ़ें- दिल्ली में बड़ी साजिश नाकाम,बाइकवाले के पास मिले 499 जिंदा कारतूस