विद्यार्थी ‘रोजगार पाने’ के बजाय ‘रोजगार सृजित’ करने की मानसकिता अपनाएं: राष्ट्रपति
हिसार:
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू रविवार को हरियाणा के हिसार स्थित गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के दीक्षांत समारोह में शामिल हुई. इस दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि युवा पीढ़ी को बदलती वैश्विक मांगों के लिए तैयार करना उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए चुनौतीपूर्ण कार्य है. देश के संतुलित एवं सतत विकास के लिए यह भी आवश्यक है कि शिक्षा एवं प्रौद्योगिकी का लाभ गांवों तक पहुंचे. इस संदर्भ में गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय,हिसार जैसे उच्च शिक्षा संस्थानों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा,उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि इस विश्वविद्यालय में छोटे शहरों एवं ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में विद्यार्थी आते हैं. उन्होंने उन विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे अपने गांव एवं शहर के लोगों को शिक्षा के महत्व से अवगत कराएं तथा उन्हें अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित करें. राष्ट्रपति ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में किए जाने वाले विश्व स्तरीय शोध भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि यहां के विद्यार्थियों और संकाय सदस्यों ने विभिन्न शोध और अनुसंधान परियोजनाओं में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं. इसमें इनक्यूबेशन,स्टार्ट-अप,पेटेंट फाइलिंग और शोध परियोजनाओं के लिए विशेष विभाग हैं.
समारोह की अध्यक्षता हरियाणा के राज्यपाल तथा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति बंडारू दत्तात्रेय ने की. इस अवसर पर जनस्वास्थ्य एवं लोक निर्माण विभाग मंत्री रणबीर सिंह गंगवा भी उपस्थित रहे. दीक्षांत समारोह का आयोजन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई के नेतृत्व में किया गया.उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि ये सभी प्रयास विद्यार्थियों में नवाचार और उद्यमिता की भावना विकसित करेंगे और भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाने में मदद करेंगे. राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से कहा कि शिक्षा केवल ज्ञान और कौशल हासिल करने का साधन नहीं है. शिक्षा मनुष्य के भीतर नैतिकता,करुणा और सहिष्णुता जैसे जीवन मूल्यों को विकसित करने का भी साधन है. शिक्षा व्यक्ति को रोजगार के योग्य बनाती है और साथ ही सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक भी बनाती है. उन्होंने कहा कि उद्यमिता विद्यार्थियों को सामाजिक जिम्मेदारियों को पूरा करने में मदद कर सकती है. उद्यमशीलता की मानसिकता उन्हें अवसरों की पहचान करने,जोखिम उठाने और मौजूदा समस्याओं के रचनात्मक समाधान खोजने में सक्षम बनाएगी. एक उद्यमी के रूप में,वे अपने अभिनव विचारों के माध्यम से सामाजिक समस्याओं का समाधान ढूंढ सकते हैं और समाज की प्रगति में योगदान दे सकते हैं.
उन्होंने छात्रों से रोजगार पाने की मानसिकता के बजाय रोजगार पैदा करने की मानसिकता अपनाने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि इसी सोच के साथ आगे बढ़ने पर वे अपने ज्ञान और कौशल का बेहतर तरीके से समाज के कल्याण के लिए उपयोग कर सकेंगे और भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने में योगदान दे सकेंगे.
गुरु जम्भेश्वर जी महाराज को किया याद
राष्ट्रपति ने कहा कि गुरु जम्भेश्वर जी,जिनके सम्मान में इस विश्वविद्यालय का नाम रखा गया है,एक महान संत और दार्शनिक थे. वे वैज्ञानिक सोच,नैतिक जीवन शैली और पर्यावरण संरक्षण के प्रबल समर्थक थे. उनका मानना था कि प्रकृति की रक्षा करना,सभी जीवों के प्रति दया और करुणा रखना तथा उन्हें संरक्षण प्रदान करना मनुष्य की नैतिक जिम्मेदारी है. आज जब हम पर्यावरण संबंधी समस्याओं का समाधान खोजने का प्रयास कर रहे हैं,तो गुरु जम्भेश्वर जी की शिक्षाएं बहुत प्रासंगिक हैं. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस विश्वविद्यालय के शिक्षक और विद्यार्थी गुरु जम्भेश्वर जी के दिखाए मार्ग पर चलते हुए समाज और देश की प्रगति में अपना योगदान देते रहेंगे.हरियाणा के राज्यपाल एवं गुजविप्रौवि के कुलाधिपति माननीय बंडारू दत्तात्रेय ने अपने संबोधन में विद्यार्थियों से कहा कि यह दिन केवल एक डिग्री प्राप्त करने का नहीं,बल्कि एक नई यात्रा के प्रारंभ का प्रतीक है. यह क्षण आपके जीवन की उस मेहनत और संघर्ष की स्वीकृति है,जो आपने वर्षों तक अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए की है. हमें एक ऐसे समय में हैं जहां जलवायु परिवर्तन,तकनीकी क्रांति और आर्थिक परिवर्तन जैसी चुनौतियां हमारे सामने हैं. आपके ज्ञान और नवाचार की शक्ति इन चुनौतियों को अवसरों में बदल सकती है. उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि आज की दुनिया पूरी तरह प्रौद्योगिकी पर निर्भर हो गई है. गुजविप्रौवि ने आपको इस तकनीकी दुनिया के लिए अच्छी तरह तैयार किया है. आपने जो शिक्षण व प्रशिक्षण प्राप्त किया है वह आपको भविष्य की चुनौतियों से निपटने में मदद करेगा.
राज्यपाल ने विद्यार्थियों से कहा कि वे नई तकनीकों के साथ आगे बढ़े. रोजगार के बेहतर अवसर मिलेंगे. उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि उन्हें नौकरी ढूंढने वाला नहीं,नौकरी देने वाला बनना चाहिए. उन्होंने विश्वविद्यालय में पीएचडी तथा स्नातकोत्तर व स्नातक की उपधियों व मेडल प्राप्त करने वालों की संख्या का हवाला देते हुए कहा कि उन्हें खुशी है कि बेटियां बहुत आगे बढ़ रही हैं.मैं उनका अभिनंदन करता हूं.उन्होंने कहा कि समाज व राष्ट्र के लिए जीवन समर्पित करना बहुत बड़ी सेवा है.उन्होंने दीक्षांत समारोह में डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त करने वाले श्री इंद्रेश कुमार के जीवन को महान बताया.
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने अपने सम्बोधन में कहा कि गुजविप्रौवि ब्लॉक चेन तकनीक पर आधारित डिग्रियां प्रदान करने वाला प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय बन गया है. इस तकनीक से डिग्रियां देने की शुरुआत आज के दीक्षांत समारोह से ही हो रही है. जैसे ही माननीय राष्ट्रपति महोदय जी दीक्षांत समारोह में डिग्रियां प्रदान करना शुरू करेंगी,डिग्रीधारकों की मेल पर ब्लॉक चेन पर आधारित डिग्री की सॉफ्ट कॉपी भी पहुंच जाएगी.
ब्लॉक चेन पर आधारित डिग्री को डिजिटल रूप से सुरक्षित किया गया है,जिससे उनकी डिग्री किसी भी प्रकार के बदलाव या धोखाधड़ी से सुरक्षित होगी.इस अत्यंत सुरक्षित तकनीक से नियोक्ता अब ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से डिग्री की सत्यता एवं प्रमाणिकता की पुष्टि दुनिया के किसी भी कोने से तुरंत कर सकेंगे. कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने इस अवसर पर विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्राप्त प्रतिष्ठित रैंकिंग का हवाला देते हुए बताया कि यह विश्वविद्यालय अपनी अंतर्राष्ट्रीय पहचान को निरंतर मजबूत कर रहा है. उन्होंने इस अवसर पर विश्वविद्यालय की स्थापना,विकास यात्रा,आधारभूत ढांचे तथा नियमित दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से तथा ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से संचालित किए जाने वाले कोर्सों के बारे में बताया. उन्होंने इस अवसर पर विश्वविद्यालय के द्वारा शुरू किए गए नए कोर्सों तथा खेल व अन्य उपलब्धियों के बारे में भी जानकारी दी.
दीक्षांत समारोह में दी गई 2090 डिग्रियां
कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने बताया कि विश्वविद्यालय के छठे दीक्षांत समारोह में कुल 2090 डिग्रियां दी गई हैं. इनमें से 561 पीएचडी की डिग्रियां हैं. इसके साथ ही 564 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल भी प्रदान किए गए हैं.उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की कुल संख्या में से 60 प्रतिशत से अधिक विद्यार्थी ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते हैं.इंद्रेश कुमार को दी गई डॉक्टरेट की मानद उपाधि
गुजविप्रौवि द्वारा इंद्रेश कुमार को डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय सदस्य के रूप में इंद्रेश कुमार आधी शताब्दी से भी अधिक समय से राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं. उनके महत्वपूर्ण कार्यों में चार लाख कश्मीरी विस्थापितों का पुनर्वास,हिंदू मुस्लिम समरसता के प्रति राष्ट्रीय मुस्लिम मंच की स्थापना,गरीब व आम आदमी के उपचार के लिए विवेकानंद अस्पताल की स्थापना,बालिका निकेतन की स्थापना,सैनिकों व उनके परिवारों को सहायता दिलवाना,गंगा स्वच्छता जनजागरण अभियान चलाना,आदि शामिल हैं.दीक्षांत समारोह में शैक्षणिक शोभा यात्रा का नेतृत्व कुलसचिव डा. विजय कुमार ने किया. इस अवसर पर राष्ट्रपति की बेटी इतिश्री मुर्मू,राष्ट्रपति के अतिरिक्त सचिव डा. राकेश गुप्ता,सेना सचिव मेजर जनरल वुदेव परीदा,वीसीएम,ओएसडी रिसर्चद् सुनील के. तिवारी,अतिरिक्त प्रेस सचिव बजाया कुमार नायक,कम्पट्रोलर कैप्टन आईएन आर.एस. रणधावा,ओएसडी मृतुंजय शर्मा,उप प्रेस सचिव नविका गुप्ता के अतिरिक्त विधायक सावित्री जिंदल,पूर्व मंत्री कमल गुप्ता एवं विश्वविद्यालय की प्रथम महिला डा. वंदना बिश्नोई उपस्थित रहे.