पाकिस्तान आर्मी के चीफ जनरल असीम मुनीर
खुद आतंकवाद का जहर बोने वाला पाकिस्तान आज उसी की आग में खुद झुलस रहा है. लेकिन उनके रहनुमाओं को इससे कोई सीख नहीं मिली है- चाहे वहां की नागरिक सरकार हो या जिसके हाथ में उसका कंट्रोल है,वो सेना. भारत से नफरत की ऐसी सनक है कि धार्मिक रूढ़िवादिता से तर-ब-तर होकर वो पाकिस्तान की आने वाली पीढ़ियों में भी जहर घोल रहे हैं. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि एक बार फिर पाकिस्तान आर्मी के चीफ जनरल असीम मुनीर ने जहर उगला है. वैसे तो पाकिस्तान के आर्मी चीफ से कोई इससे ज्यादा उम्मीद भी नहीं कर सकता लेकिन इस बार उनकी ये नफरत भरी सीख पाकिस्तान की आने वाली पीढ़ियों के लिए भी थी,जिससे भविष्य में पाकिस्तान की सोच में परिवर्तन की उम्मीद और कमजोर ही होती है.
विदेश में रह रहे पाकिस्तानियों की एक सभा को संबोधित करते हुए जनरल मुनीर ने कहा,“पाकिस्तान की कहानी अपने बच्चों को जरूर सुनाएं ताकि वो पाकिस्तान की कहानी न भूलें. हमारे पूर्वजों ने सोचा कि हम जिंदगी के हर पहलू में हिंदूओं से अलग हैं. हमारा धर्म अलग है,हमारे रिवाज अलग हैं,हमारी परंपरा अलग है,हमारी सोच अलग है,हमारी महत्वाकांक्षाएं अलग हैं. और यही उस दो-राष्ट्र के सिद्धांत का आधार था.”
“हम एक देश नहीं दो देश हैं. इसलिए हमारे पूर्वजों ने इस देश को बनाने के लिए संघर्ष किया. हमारे पूर्वजों और हमने इस देश के निर्माण के लिए बहुत त्याग किया है. हम जानते हैं कि इसकी रक्षा कैसे करनी है. मेरे प्यारे भाइयों,बहनों,बेटियों और बेटों,कृपया पाकिस्तान की इस कहानी को मत भूलना. अपनी अगली पीढ़ी को यह कहानी सुनाना मत भूलना ताकि पाकिस्तान के साथ उनका रिश्ता कभी कमज़ोर न पड़े.”- जनरल मुनीर
उन्होंने आगे कहा,“आज तक इंसानीयत की तारीख में केवल दो रियासतें कलमें की बुनियाद पर बनी हैं. पहली रियासत-ए-तैयबा थी,और उसके 1300 साल बाद दूसरी रियासत बनी हमारी (पाकिस्तान).”
पाक सेना चीफ की नजर में मानवाधिकार,लोकतंत्र की कोई इज्जत नहीं
यह कोई पहला मौका नहीं है जब जनरल मुनीर ने बोलते-बोलते कोई सीमा लांघी है. उनकी भाषा यह बताती है कि उनकी नजर में मानवाधिकार या लोकतंत्र की कोई इज्जत नहीं है. वैसे पाकिस्तान का इतिहास भी बताता है कि कैसे बार-बार वहां की सेना ने लोकतंत्र का गला घोटा है. अभी भी बस कहने को वहां लोकतंत्र है,असली कंट्रोल सेना के हाथ में ही है.पाकिस्तान सेना प्रमुख ने एक महीने पहले ही,18 मार्च को पाकिस्तान को एक "कठोर राज्य" (हार्ड स्टेट) में बदलने की आवश्यकता पर जोर दिया था और कहा कि आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष पाकिस्तान के "अस्तित्व" के लिए "लड़ाई" है. जनरल मुनीर ने यह टिप्पणी बलूच उग्रवादियों द्वारा एक यात्री ट्रेन के हाईजैक के कुछ दिनों बाद बुलाई गई राष्ट्रीय सुरक्षा पर संसदीय समिति की एक उच्च-स्तरीय बैठक में की. इस हमले में 25 यात्रियों की मौत हो गई थी.
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